इलेक्टिव सर्जरी या सर्जिकल प्रक्रिया उसे कहते हैं, जिन्हें हम पहले से शेड्यूल कर सकते हैं, क्योंकि इन्हें तुरंत किया जाए ऐसी कोई मेडिकल इमरजेंसी नहीं होती है। इन्हें कब किया जाए, इसका निर्णय डॉक्टर और मरीज़ मिलकर लेते हैं।
ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, एक इलेक्टिव सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसे मरीज और डॉक्टर उनकी सुविधानुसार प्लान कर सकते हैं। इसमें क्षतिग्रस्त जोड़ को निकालर उसे कृत्रिम जोड़ से बदल दिया जाता है, जिसे प्रोस्थेसिस कहते हैं। प्रोस्थेसिस को इस प्रकार से डिजाइन किया जाता है कि जोड़ एक स्वस्थ जोड़ की तरह सामान्य रूप से मूवमेंट कर सके। हिप और नी रिप्लेसमेंट, सबसे सामान्य रूप से की जानें वाली सर्जरियां हैं, लेकिन रिप्लेसमेंट सर्जरी दूसरे जोड़ों पर भी की जाती हैं, जिनमें टखने, कलाईयां, कंधे और कोहनी सम्मिलित हैं।
किसी भी महामारी के दौर में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है, जिससे ऑपरेशन के कारण जटिलताओं का खतरा भी 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। आप ऑपरेशन के समय या रिकवरी के दौरान संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। पूरे विश्व में इलेक्टिव सर्जरियों को कोरोना के कर्व के फ्लैट न होने तक नहीं कराने की सिफारिश की गई है। कोविड-19 केसंक्रमण से बचना बहुत जरूरी है, क्योंकि 80 प्रतिशत मरीजों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, दूसरा, इसका वैक्सीन अभी तक नहीं आया है।
खासकर, बुजुर्ग लोगों को जो पहले से ही किसी स्वास्थ्य समस्या जैसे डायबिटीज़ और फेफड़ों से संबंधित किसी बीमारी के शिकार हैं, उनके लिए खतरा अधिक है। इन लोगों को संक्रमण से बचने के लिए जितना अधिक से अधिक समय तक हो सर्जरी से बचना चाहिए, क्योंकि अस्पताल में रहने के दौरान या सर्जरी के पश्चात रिकवरी के समय जैसे फिजियोथेरेपी या फॉलो-अप ड्रेसिंग संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बढ़ा सकती है।
जबजोड़ अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो गया हो, उसमें सूजन आ गई हो, दर्द के कारण सामान्य जीवन जीना भी संभव नहीं हो पा रहा होयानान-सर्जिकल उपचारों से मरीज को आराम नहीं मिल रहा है, तब जोड़ को पहुंची क्षति को जानने के लिए एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई की मदद भी ली जाती है। अगर विभिन्न जांचों में यह निकलकर आता है कि जोड को पहुंची क्षति को बिना सर्जरी के ठीक नहीं किया जा सकता, तभी सर्जरी का विकल्प चुनें।
इसके अलावा, इन्फेक्टेड रिविज़न सर्जरी या जो मरीज सेकंड स्टेज रिवीज़न सर्जरी कराने का प्लान कर चुके हैं, उन्हें सर्जरी कराने में देरी नहीं करना चाहिए।
जिन लोगों को अत्यधिक दर्द हो रहा हो या नान-सर्जिकल उपचारों से आराम नहीं मिल रहा हो, उन्हें भी सर्जरी करा लेनी चाहिए, नहीं तो खतरा बढ़ सकता है। जोड़ों के दर्द से बचने के लिए कईं लोग पेन किलर का सहारा लेते हैं, लेकिन इससे किडनी क्षतिग्रस्त हो सकती है या कईं और साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जो जीवन के लिए घातक हो सकते हैं।
जिन लोगों के घुटनों के जोड़ इतने क्षतिग्रस्त हो गए हैं, कि उनमें विकृति आ गई है और जिन्हें स्ट्रेस फ्रैक्चर हो गया है, उन्हें तुरंत सर्जरी कराना चाहिए, क्योंकि यह स्थिति सेमी-इमरजेंसी की श्रेणी में आएगी। जिन मरीजों को पेरी प्रोस्थेसिस फ्रैक्चर (पहले हुए ज्वाइंट रिप्लेसमेंट के आसपास फ्रैक्चर) हो गया है, यह भी एक आपातकालीन स्थिति है; इसलिए फ्रैक्चर के पैटर्न के अनुसार, या तो ज्वाइंट रिप्लेसमेंट को रिवाइस करना चाहिए या फ्रैक्चर के लिए उपचार कराना चाहिए।
कोविड-19 अत्यंत संक्रामक है, अस्पतालों के लिए भी बहुत बड़ी चुनौती है, अपने स्टॉफ और अन्य मरीजों को संक्रमण से बचाने की। अस्पतालों में कोविड पॉजिटिव और कोविड नेगेटिव के लिए अलग-अलग वार्ड बना दिए गए हैं। यहां किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए भर्ती होने वाले मरीजों का कोविड टेस्ट किया जाता है। कोविड पॉजिटिव को अलग रखा जाता है, और नेगेटिन को सामान्य मरीजों के साथ रख जाता है।
कोविड-19 के दौर में सर्जरियां तो वैसे ही हो रही हैं, जैसे होती हैं, लेकिन संक्रमण से बचाव के लिए कुछ बातों का विशेषतौर पर ध्यान रखा जा रहा है।
घर पर भी सुरक्षात्मक वातावरण तैयार करें। जब हॉस्पिटल से छुट्टी होकर घर जाएं तो खुद को एक कमरे में आइसोलेट कर लें। फिजियोथेरेपिस्ट की सेवाएं भी न लें। अपने डॉक्टर से चर्चा करके घर पर ही हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें। अपने परिवार के लोगों से भी 2-3 सप्ताह तक दूर रहें। जब तक बहुत जरूरी न हो डॉक्टर के पास न जाएं, फोन से ही कंसल्टेशन प्राप्त करें।
डॉ. ईश्वर बोहरा, सीनियर कंसल्टेंट एंव आर्थोपेडिक व ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जन, बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली